Mitwa Re Bhool Gaye the Rahen

मितवा रे, भूल गए थे राहें मितवा
मितवा रे, भूल गए थे राहें मितवा

एक मुसाफ़िर, लाखों रस्ते, एक मुसाफ़िर, लाखों रस्ते
जाने कहाँ थी तेरी राहें
(मितवा रे, भूल गए थे राहें मितवा)

लम्बे, सूने विरानों में कितनी बार रुके दिलवाले
लम्बे, सूने विरानों में कितनी बार रुके दिलवाले
धूप में देखी छाँव की चोटें, धूप में देखी छाँव की चोटें
छाँव में देखे धूप के छाले

होठों पर ही रोक ली हमने, होठों पर ही रोक ली हमने
एक हँसी में सारी आँहें
(मितवा रे, भूल गए थे राहें मितवा)

एक से एक जुदा था राही, पास थे सारे, संग ना कोई
एक से एक जुदा था राही, पास थे सारे, संग ना कोई
सब रंगों के देखे चेहरे, सब रंगों के देखे चेहरे
उन आँखों का रंग ना कोई

जिन बाँहों में नींद आ जाए, जिन बाँहों में नींद आ जाए
ढूँढ रहे थे वो ही बाँहें
(मितवा रे, भूल गए थे राहें मितवा)
(मितवा रे, भूल गए थे राहें मितवा)



Credits
Writer(s): Gulzar, Hemant Kumar
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