Sharma Ke Agar Kyun Pardanashi

शर्मा के ये क्यूँ सब पर्दानशीं...
शर्मा के ये क्यूँ सब पर्दानशीं आँचल को सँवारा करता हैं?

(शर्मा के ये क्यूँ सब पर्दानशीं आँचल को सँवारा करता हैं?)
(शर्मा के ये क्यूँ सब पर्दानशीं आँचल को सँवारा करता हैं?)
शर्मा के ये क्यूँ सब पर्दानशीं आँचल को सँवारा करता हैं?
आँचल को सँवारा करता है, आँचल को सँवारा करता हैं

कुछ ऐसे नज़र वाले भी हैं जो छुप-छुप के नज़ारा करते हैं
(कुछ ऐसे नज़र वाले भी हैं जो छुप-छुप के नज़ारा करते हैं)
(शर्मा के ये क्यूँ सब पर्दानशीं आँचल को सँवारा करता हैं?)

बेताब निगाहों से कह दो, जलवों से उलझना ठीक नहीं
(जलवों से उलझना ठीक नहीं, जलवों से उलझना ठीक नहीं)
बेताब निगाहों से कह दो, जलवों से उलझना ठीक नहीं
(...जलवों से उलझना ठीक नहीं)

आना सँभल के पर्दानशिनों के सामने
झुकती है ज़िंदगी भी हसीनों के सामने
महफ़िल में हुस्न की जो गया, शान से गया
जिसने नज़र मिलाई वही जान से गया

बेताब निगाहों से कह दो, जलवों से उलझना ठीक नहीं
(जलवों से उलझना ठीक नहीं, जलवों से उलझना ठीक नहीं)

ये नाज़-ओ-अदा के मतवाले बे-मौत भी मारा करते हैं
(ये नाज़-ओ-अदा के मतवाले बे-मौत भी मारा करते हैं)
(शर्मा के ये क्यूँ सब पर्दानशीं आँचल को सँवारा करता हैं?)

कोई ना हसीनों को पूछे, दुनिया में ना हो 'गर दिल वाले
(दुनिया में ना हो 'गर दिल वाले, दुनिया में ना हो 'गर दिल वाले)
कोई ना हसीनों को पूछे, दुनिया में ना हो 'गर दिल वाले
(...दुनिया में ना हो 'गर दिल वाले)

नज़रें जो ना होतीं तो नज़ारा भी ना होता
दुनिया में हसीनों का गुज़ारा भी ना होता
नज़रों ने सिखाई इन्हें शोख़ी भी, हया भी
नज़रों ने बनाया है इन्हें बुत भी, ख़ुदा भी

कोई ना हसीनों को पूछे, दुनिया में ना हो 'गर दिल वाले
(दुनिया में ना हो 'गर दिल वाले, दुनिया में ना हो 'गर दिल वाले)

ये हुस्न की इज़्ज़त रखने को हर ज़ुल्म गवारा करते है
(ये हुस्न की इज़्ज़त रखने को हर ज़ुल्म गवारा करते है)
(कुछ ऐसे नज़र वाले भी हैं जो छुप-छुप के नज़ारा करते हैं)

छेड़ें ना मोहब्बत के मारे इन चाँद सी सूरत वालों को
(इन चाँद सी सूरत वालों को, इन चाँद सी सूरत वालों को)
छेड़ें ना मोहब्बत के मारे इन चाँद सी सूरत वालों को
(...इन चाँद सी सूरत वालों को)

अर्ज़ कर दो ये नुक्ताचीनों से कि रहे दूर नाज़नीनों से
अगर ये ख़ुश हों तो उल्फ़त का एहतराम करें
अगर ज़रा भी ख़फ़ा हो तो क़त्ल-ए-आम करें

छेड़ें ना मोहब्बत के मारे इन चाँद सी सूरत वालों को
(इन चाँद सी सूरत वालों को, इन चाँद सी सूरत वालों को)

ये शोख़ नज़र के ख़ंजर भी सीने में उतारा करते हैं
(ये शोख़ नज़र के ख़ंजर भी सीने में उतारा करते हैं)
(शर्मा के ये क्यूँ सब पर्दानशीं आँचल को सँवारा करता हैं?)



Credits
Writer(s): Ravi, Shakeel Badayuni
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