Tu Kahe Agar

तू कहे अगर, तू कहे अगर
तू कहे अगर जीवन भर
मैं गीत सुनाता जाऊँ
मन बीन बजाता जाऊँ
तू कहे अगर...

और आग मैं अपने दिल की
हर दिल में लगाता जाऊँ
दुख-दर्द मिटाता जाऊँ
तू कहे अगर...

मैं साज़ हूँ, तू सरगम है
मैं साज़ हूँ, तू सरगम है
देती जा सहारे मुझको
देती जा सहारे मुझको

मैं राग हूँ, तू बीणा है
मैं राग हूँ, तू बीणा है
जिस दम तू पुकारे तुझको

आवाज़ में तेरी हर दम
आवाज़ मिलाता जाऊँ
आकाश पे छाता जाऊँ
तू कहे अगर...

इन बोलों में तू ही तू है
मैं समझूँ या तू जाने, हो, जाने
इन में है कहानी मेरी
इन में हैं तेरे अफ़साने
इन में हैं तेरे अफ़साने

तू साज़ उठा उल्फ़त का
मैं झूमके गाता जाऊँ
सपनों को जगाता जाऊँ
तू कहे अगर...



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Naushad
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