Aisa Koi

ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था
ओ, ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था

ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नहीं था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नहीं था
ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था
हो, ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था

ओ, तेरे लिए रातों में चाँदनी उगाई थी
तेरे लिए रातों में चाँदनी उगाई थी
क्यारियों में ख़ुशबू की रोशनी लगाई था

जाने कहाँ टूटी है डोर मरे ख़ाब की
जाने कहाँ टूटी है डोर मरे ख़ाब की
ख़ाब से जागेंगे, सोचा तो नहीं था
...सोचा तो नहीं था

ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था
ओ, ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था

शामियाने शामों के रोज़ ही सजाए थे
शामियाने शामों के रोज़ ही सजाए थे
कितनी उम्मीदों के मेहमाँ बुलाए थे

आके दरवाज़े से लौट गए हो
आके दरवाज़े से लौट गए हो
यूँ भी कोई आएगा, सोचा तो नहीं था
...सोचा तो नहीं था

ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था
ओ, ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नहीं था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नहीं था
ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था
हो, ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नहीं था



Credits
Writer(s): Gulzar, Ust. Amjad Ali Khan
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