Aye Shaam Ki Hawao

ऐ शाम के हवाओं उनसे पयाम कहना
मेरा सलाम कहना
ऐ शाम के हवाओं उनसे पयाम कहना
मेरा सलाम कहना
ऐ शाम के हवाओं...

कहना कि दिल किसी का भुला नहीं वो बातें
छुप-छुप के तुमसे मिलना, छुप-छुप के तुमसे मिलना
तारों भरी, हाँ, तारों भरी वो रातें

रुकता नहीं है अब भी इन आँसूओं का बहना
ऐ शाम के हवाओं...

तुम जब से छूट गए हो, दिल अपना रो रहा है
अश्कों में जैसे कोई, अश्कों में जैसे कोई
दिल को डुबो रहा है

क्या उम्र-भर पड़ेगा फ़ुर्क़त में ग़म ही सहना?
ऐ शाम के हवाओं...

इक रोज़ मेरे ग़म में तुम बेक़रार होगे
तुम बेक़रार होगे, तुम बेक़रार होगे
बे-इख़्तियार होगे

लाएगा रंग इक दिन मेरा ये उदास रहना
ऐ शाम के हवाओं...



Credits
Writer(s): Kamal Dasgupta, Fayaz Hashmi
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