Gaon Ki Rani

एक भोली-भाली गाँव की रानी
जिसकी कहानी आओ सुनाएँ, सुनो
एक भोली-भाली गाँव की रानी
जिसकी कहानी आओ सुनाएँ, सुनो

पके धान का खेत खड़ा, बलखा खाके लहराए
ओढ़ चुनरिया हरियाली की, धरती है मुस्काए
वहाँ बनी एक सुंदर कुटिया, महलों को शरमाए
उसमें रहती एक मतवाली, सुंदर रानी
उसकी कहानी आओ सुनाएँ, सुनो

कुटिया ही सबकुछ है उसकी
कुटिया की सबकुछ है वो
आते-जाते राही पाते
आगे बढ़ने की हिम्मत को

गाँव की रानी पिया के पथ में बैठ बिछाए आँखों को
साँघ दीप ने मिला दिए और देख रहा इस मधु मिलन को
ऐसी गाँव की रानी
जिसकी कहानी आओ सुनाएँ, सुनो

नीद परी के जादू ने जब लुटा दिए सपने अनमोल
लगी लूटने सारी दुनिया अपनी मन मस्ती में डोल
नीद परी के जादू ने जब लुटा दिए सपने अनमोल
लगे लूटने सारी दुनिया अपनी मन मस्ती में डोल

पर, हाय, विधाता रूप बदलकर गाँव के आँगन आई
भोले-भाले मुखड़े देखे, अपने आप से वो शरमाई
पर, हाय, विधाता रूप बदलकर गाँव के आँगन आई
भोले-भाले मुखड़े देखे, अपने आप से वो शरमाई

जो कुछ करना था करना और चिल्ला उठी जाग रे दुनिया
काल पड़ गया अकाल, काल पड़ गया अकाल
काल पड़ गया अकाल

एक भोली-भाली गाँव की रानी
जिसकी कहानी आओ सुनाएँ, सुनो
एक भोली-भाली गाँव की रानी
जिसकी कहानी आओ सुनाएँ, सुनो

पर, हाय, विधाता रूप बदलकर गाँव के आँगन आई
भोले-भाले मुखड़े देखे, अपने आप से वो शरमाई
जो कुछ करना था करना और चिल्ला उठी जाग रे दुनिया
काल पड़ गया अकाल, काल पड़ गया अकाल
काल पड़ गया अकाल

डाकन, जोगन, आए पिशाच, छाए घटाएँ काली-काली रे
मौत के साथ प्रलय रागिनी बाज रही मतवाली रे
मिला ख़ाक में गाँव सलोना, ग़म ने मनाई दीवाली रे
शांति गई, सुख-चैन गया, सोने से भरे वो खेत कहाँ
डाकन, जोगन, डाकन, जोगन, आए पिशाच, छाए घटाएँ काली-काली रे

कहाँ गई वो साँझ सुहानी?
कहाँ पक्षियों का गाना?
कहाँ गया वो मधुर मिलन?
और कहाँ ख़ुशी से भरा ज़माना

क्यूँ उगे हो अब तुम चाँद सलोने? क्या लेने अब आए सितारे?
चले गए वो छोड़ के दुनिया जिनको थे तुम बड़े ही प्यारे

हर गाँव की टूटी दीवारें कहती हैं आज कहानी
मेरी गोद में बनी समाधि, कितनी कुटिया, कितनी रानी



Credits
Writer(s): Rajasthani Madhukar, Accop Suresh
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