Ab Jeene Ka Mausam Aaya

अब जीने का मौसम आया
कि हम निकले थे दो क़दम
इतने में, ऐ सनम, तुमको मिले

अब जीने का मौसम आया
कि हम निकले थे दो क़दम
इतने में, ऐ सनम, तुमको मिले
अब जीने का मौसम आया

रुख़ पे मेरे जो थी गर्द-ए-ग़म, धुल गई
रुख़ पे मेरे जो थी गर्द-ए-ग़म, धुल गई
हाय, ज़ुल्फ़-ए-जानाँ, तेरी हर शिकन खुल गई

नहीं ये तन मेरा तुम्हारी बाँहों में
बहारें बलखाती चली हैं राहों में
नहीं ये तन मेरा तुम्हारी बाँहों में
बहारें बलखाती चली हैं राहों में
राहों में

अब जीने का मौसम आया
कि हम निकले थे दो क़दम
इतने में, ऐ सनम, तुमको मिले
अब जीने का मौसम आया

तुम सदा साथ हो यूँ मेरे प्यार के
तुम सदा साथ हो यूँ मेरे प्यार के
जैसे रहता है तिल मेरे रुख़सार पे

नशीली आँखों की सदा से पीते हैं
तुम्हीं पे मरते थे, तुम्हीं पे जीते हैं
नशीली आँखों की सदा से पीते हैं
तुम्हीं पे मरते थे, तुम्हीं पे जीते हैं
जीते हैं

अब जीने का मौसम आया
कि हम निकले थे दो क़दम
इतने में, ऐ सनम, तुमको मिले
अब जीने का मौसम आया

तीसरा क्यूँ रहे हमपे साया किए?
तीसरा क्यूँ रहे हमपे साया किए?
हाय, कह दो सूरज से डूबे अब ख़ुदा के लिए

अभी तो दिन आया ख़ुदा-ख़ुदा करके
अभी कहाँ देखा किसी को जी-भर के
अभी तो दिन आया ख़ुदा-ख़ुदा करके
अभी कहाँ देखा किसी को जी-भर के
जी-भर के

अब जीने का...
अब जीने का मौसम आया
कि हम निकले थे दो क़दम
इतने में, ऐ सनम, तुमको मिले

अब जीने का मौसम आया
कि हम निकले थे दो क़दम
इतने में, ऐ सनम, तुमको मिले
अब जीने का मौसम आया



Credits
Writer(s): Kudalkar Laxmikant, Majrooh Sultanpuri
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