Chand Ki Tum Chandani

चाँद की तुम चाँदनी हो, सूरज की रोशनी हो
और क्या तुमसे कहूँ मैं, तुम मेरी ज़िंदगी हो

चाँद की तुम चाँदनी हो, सूरज की रोशनी हो
और क्या तुमसे कहूँ मैं, तुम मेरी ज़िंदगी हो
बस तुम मुझे याद आने लगी
दुनिया मुझे भूल जाने लगी

सब रंग हैं, सब रूप हैं, बस एक ख़ुशबू हो तुम
सब रंग हैं, सब रूप हैं, बस एक ख़ुशबू हो तुम

ओ, जान-ए-जाँ, ओ, जान-ए-मन
इसी लिए तो मैं कहता हूँ

चाँद की तुम चाँदनी हो, सूरज की रोशनी हो
और क्या तुमसे कहूँ मैं, तुम मेरी ज़िंदगी हो
बस तुम मुझे याद आने लगी
दुनिया मुझे भूल जाने लगी

इतने हसीं चेहरे कहीं बनते नहीं आजकल
आशिक़ हूँ मैं, शायर नहीं, लिखता मैं तुमपे ग़ज़ल

ओ, मह-जबीं, ओ, गुल-बदन
इसी लिए तो मैं कहता हूँ

चाँद की तुम चाँदनी हो, सूरज की रोशनी हो
और क्या तुमसे कहूँ मैं, तुम मेरी ज़िंदगी हो
बस तुम मुझे याद आने लगी
दुनिया मुझे भूल जाने लगी

लगता है डर तुमको अगर छू लूँ तो जल जाऊँ मैं
ये दिल, ये जाँ छोड़ूँ यहाँ, आगे निकल जाऊँ मैं

जान-ए-जिगर, जान-ए-चमन
इसी लिए तो मैं कहता हूँ

चाँद की तुम चाँदनी हो, सूरज की रोशनी हो
और क्या तुमसे कहूँ मैं, तुम मेरी ज़िंदगी हो
बस तुम मुझे याद आने लगी
दुनिया मुझे भूल जाने लगी

बस तुम मुझे याद आने लगी
दुनिया मुझे भूल जाने लगी



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Sameer P.
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