Barson Ki Khamoshi

बरसों की ख़ामोशी को इस ख़त से तोड़ रहा हूँ मैं
ओ-हो-हो-हो-हो

बरसों की ख़ामोशी को इस ख़त से तोड़ रहा हूँ मैं
बीत गए जो मौसम...
ओ-हो-हो-हो, बीत गए जो मौसम, उनके पीछे दौड़ रहा हूँ मैं

बरसों की ख़ामोशी को इस ख़त से तोड़ रहा हूँ मैं
बीत गए जो मौसम...
ओ-हो-हो-हो, बीत गए जो मौसम, उनके पीछे दौड़ रहा हूँ मैं

सोचा था, तुम कह दोगी
तुमसे मुझको जो कहना है
लेकिन तुमने कुछ ना कहा
अब तो मुश्किल चुप रहना है

बिख़रे-बिख़रे लफ़्ज़ों को आपस में जोड़ रहा हूँ मैं
बीत गए जो मौसम...
ओ-हो-हो-हो, बीत गए जो मौसम, उनके पीछे दौड़ रहा हूँ मैं

इस काग़ज़ पे लिखा है
मैंने देखा है जो सपना
बंद लिफ़ाफ़े में तुमको
मैं भेज रहा हूँ दिल अपना

आगे बात तुम्हारी "हाँ" पर, "ना" पर छोड़ रहा हूँ मैं
बीत गए जो मौसम...
ओ-हो-हो-हो, बीत गए जो मौसम, उनके पीछे दौड़ रहा हूँ मैं

तेरा दिल ना चाहे तो
हरगिज़ इक़रार नहीं करना
कोई बहाना कर देना
लेकिन इंकार नहीं करना

तेरे प्यार से अपने टूटे दिल को जोड़ रहा हूँ मै
बीत गए जो मौसम...
ओ-हो-हो-हो, बीत गए जो मौसम, उनके पीछे दौड़ रहा हूँ मैं

बरसों की ख़ामोशी को इस ख़त से तोड़ रहा हूँ मैं
बीत गए जो मौसम...
ओ-हो-हो-हो, बीत गए जो मौसम, उनके पीछे दौड़ रहा हूँ मैं



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Sameer P.
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