Ek Baras Beet Gaya

Emergency लगी थी
सारा देश एक जेलख़ाने में बदल दिया गया था
स्वतंत्रताओं का अपहरण हुआ था
बड़ी संख्या में लोग गिरफ़्तार किए गए थे, जेलों में बंद किए गए थे

जब एक साल बीत गया तो मैंने एक छोटी सी कविता लिखी
"झुलसाता जेठ मास, शरद चाँदनी उदास
सिसकी भरते सावन का अंतर्घट रीत गया
एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया"

एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया

झुलसाता जेठ मास...
झुलसाता जेठ मास, शरद चाँदनी उदास
झुलसाता जेठ मास, शरद चाँदनी उदास
सिसकी भरते सावन का...
सिसकी भरते सावन का अंतर्घट रीत गया

एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया

सीकचों मे सिमटा जग...
सीकचों मे सिमटा जग, किंतु विकल प्राण विहग
सीकचों मे सिमटा जग, किंतु विकल प्राण विहग
धरती से अंबर तक...
धरती से अंबर तक गूँज मुक्ति गीत गया

एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया

पथ निहारते नयन...
पथ निहारते नयन गिनते दिन पलछिन
पथ निहारते नयन गिनते दिन पलछिन
लौट कभी आएगा...
लौट कभी आएगा मन का जो मीत गया

एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया

(एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया)
(एक बरस बीत गया, एक बरस बीत गया)



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Atal Bihari Vajpayee
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