Chaurahe Par

जो कल थे, वे आज नहीं हैं
जो आज हैं, वे कल नहीं होंगे
होने, न होने का क्रम
इसी तरह चलता रहेगा
हम हैं, हम रहेंगे
यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा

सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
जो है, उसका होना सत्य है
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है
मुझे लगता है कि
होना-न-होना एक ही सत्य के
दो आयाम हैं
शेष सब समझ का फेर
बुद्धि के व्यायाम हैं

चौराहे पर लुटता चीर
चौराहे पर लुटता चीर
प्यादे से पिट गया वज़ीर
चलूँ आख़िरी चाल के बाजी छोड़ विरक्ति रचाऊँ मैं
राह कौन सी जाऊँ मैं
राह कौन सी जाऊँ मैं

सपना जन्मा और मर गया
मधु ऋतु में ही बाग़ झर गया
सपना जन्मा और मर गया
मधु ऋतु में ही बाग़ झर गया
तिनके बिखरे हुए बटोरूँ या नव सॄष्टि सजाऊँ मैं
राह कौन सी जाऊँ मैं
राह कौन सी जाऊँ मैं

दो दिन मिले उधार में
घाटे के व्यापार में
दो दिन मिले उधार में
घाटे के व्यापार में
क्षण क्षण का हिसाब जोड़ूँ
या पूँजी शेष लुटाऊँ मैं
राह कौन सी जाऊँ मैं

राह कौन सी जाऊँ मैं
चौराहे पर लुटता चीर
प्यादे से पिट गया वज़ीर
चलूँ आख़िरी चाल के बाजी छोड़ विरक्ति रचाऊँ मैं
राह कौन सी जाऊँ मैं
राह कौन सी जाऊँ मैं



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Atal Bihari Vajpayee
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