Jeevan Beet Chala

मैंने बहुत कम कविताएँ लिखी हैं
वक़्त नहीं मिलता, लेकिन जब कभी
मेरी सालगिरह आती है, तो कुछ पिछले कुछ सालों से
मैं हर सालगिरह पर एक कविता लिखता हूँ

जीवन की ढलने लगी साँझ, उमर घट गई
डगर कट गई, जीवन की ढलने लगी साँझ
बदले हैं अर्थ, शब्द हुए व्यर्थ
शांति बिना ख़ुशियाँ हैं बाँझ
जीवन की ढलने लगी साँझ

जीवन बीत चला
जीवन बीत चला

जीवन बीत चला, जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
जीवन बीत चला, जीवन बीत चला
जीवन बीत चला

कल-कल करते आज हाथ से निकले सारे
भूत-भविष्यत् की चिंता में वर्तमान की बाज़ी हारे
पहरा कोई काम ना आया, रस-घट रीत चला

जीवन बीत चला, जीवन बीत चला
जीवन बीत चला, जीवन बीत चला
जीवन बीत चला

हानि-लाभ के पलड़ो में तुलता जीवन व्यापार हो गया
मोल लगा बिकने वाले का, बिना बिका बेकार हो गया
मुझे हाट में छोड़ अकेला एक-एक कर मीत चला

जीवन बीत चला, जीवन बीत चला
जीवन बीत चला, जीवन बीत चला
जीवन बीत चला

जीवन बीत चला, जीवन बीत चला
जीवन बीत चला



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Atal Bihari Vajpayee
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link