Door Kahin Koi Rota Hai

Emergency के दौरान, जब मेरी तबीयत ख़राब हुई
तब मुझे बैंगलौर के जेल से All India Medical Institute में लाया गया
चौथी या पांचवी मन्ज़िल पर रखा गया था
कड़ा पहरा था

लेकिन रोज़ सवेरे मेरी आँख अचानक खुल जाती थी
कारण ये था कि रोने की आवाज़ आती थी
मैंने पता लगाने का प्रयास किया
ये आवाज़ कहाँ से आ रही है, किसकी आवाज़ है
तो मुझे बताया गया कि Medical Institute में रात में जिन मरीजों का देहांत हो जाता है
घर वालों को उनकी लाश सवेरे दी जाती है
सवेरे उन्हें ये जानकारी मिलती है कि उनका प्रियजन नहीं रहा
रोने कि आवाज़ मुझे विचलित कर गई
दूर से आवाज़ आती थी मगर हृदय को चीर कर चली जाती थी

दूर कहीं कोई रोता है
दूर कहीं कोई रोता है
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी है केवल सूनापन
बिछुड़ गया क्या स्वजन किसी का?
बिछुड़ गया क्या स्वजन किसी का?
क्रंदन सदा करूण होता है
दूर कहीं कोई रोता है

जन्म दिवस पर हम इठलाते
क्यों ना मरण त्यौहार मनाते?
अंतिम यात्रा के अवसर पर
अंतिम यात्रा के अवसर पर
आँसू का अशकुन होता है
दूर कहीं कोई रोता है

अंतर रोयें आँख ना रोयें
धुल जायेंगे स्वप्न संजोये
छलना भरे विश्व में केवल
छलना भरे विश्व में केवल
सपना ही तो सच होता है
दूर कहीं कोई रोता है

इस जीवन से मृत्यु भली है
आतंकित जब गली-गली है
मैं भी रोता आसपास जब
मैं भी रोता आसपास जब
कोई कहीं-नहीं होता है
दूर कहीं कोई रोता है
दूर कहीं कोई रोता है



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Atal Bihari Vajpayee
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