Jhoothi Sachchi Aas Pe Jeena

झूठी सच्ची आस पे जीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी सच्ची आस पे जीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
मय की जगह ख़ून-ए-दिल पीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी सच्ची आस पे जीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक

सोचा है अब पार उतरेंगे
या टकरा कर डूब मरेंगे
सोचा है अब पार उतरेंगे
या टकरा कर डूब मरेंगे
तूफ़ानों की ज़द पे सफ़ीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी सच्ची आस पे जीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक

एक महीने के वादे पर
साल गुज़ारा फिर भी ना आये
एक महीने के वादे पर
साल गुज़ारा फिर भी ना आये
वादे का ये एक महीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी सच्ची आस पे जीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक

सामने दुनिया भर के ग़म हैं
और इधर इक तन्हा हम हैं
सामने दुनिया भर के ग़म हैं
और इधर इक तन्हा हम हैं
सैकड़ों पत्थर, इक आईना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी सच्ची आस पे जीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक

मय की जगह ख़ून-ए-दिल पीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी सच्ची आस पे जीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक



Credits
Writer(s): Kashif Indori, Jagjit Singh
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