Shayad Aa Jayega Saqi Ko

शायद आ जाएगा साक़ी को तरस अब के बरस

शायद आ जाएगा साक़ी को तरस अब के बरस
मिल ना पाया है उन आँखों का भी रस अब के बरस
शायद आ जाएगा साक़ी को तरस अब के बरस

ऐसी छईं थी कहाँ ग़म की घटाएँ पहले?
ऐसी छईं थी कहाँ ग़म की घटाएँ पहले?
हाँ, मेरे दीदा-ए-तर ख़ूब बरस अब के बरस
शायद आ जाएगा साक़ी को तरस अब के बरस

उफ़, वो उन मद-भरी आँखों के छलकते हुए जाम
उफ़, वो उन मद-भरी आँखों के छलकते हुए जाम
बढ़ गई और भी पीने की हवस अब के बरस
शायद आ जाएगा साक़ी को तरस अब के बरस

पहले ये कब था कि वो मेरे हैं, मैं उनका हूँ?
पहले ये कब था कि वो मेरे हैं, मैं उनका हूँ?
उनकी यादों ने सताया है तो बस अब के बरस

शायद आ जाएगा साक़ी को तरस अब के बरस
मिल ना पाया है उन आँखों का भी रस अब के बरस
शायद आ जाएगा साक़ी को तरस अब के बरस



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Rais Rampuri
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