Khushboo Jaise Log

ख़ुशबू जैसे लोग...

ख़ुशबू जैसे लोग...
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
ख़ुशबू जैसे लोग...

शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं
शाम के साए...
शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं

चाँद ने कितनी देर, कितनी देर लगा दी
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
ख़ुशबू जैसे लोग...

हम इस मोड़ से...
हम इस मोड़ से उठकर अगले मोड़ चले
हम इस मोड़ से...
हम इस मोड़ से उठकर अगले मोड़ चले

उनको शायद-, उनको...
उनको शायद उम्र लगेगी आने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

ख़ुशबू जैसे लोग...
ख़ुशबू जैसे लोग...



Credits
Writer(s): Gulzar, Bhupender Singh
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