Hawaas Ka Jahaan Saath Le Gayaa

जाने कैसी सर्दी आके बैठ गई थी
जम गई थी उसके सीने में
ग़ज़ल की काँग्ड़ी जला के पहन लेता था
सर्दी से ठिठरने लगता था कभी
छदरी-छदरी धूप ओढ़ लेता था

कल सुना है, बर्फ़ गिर रही थी जब पहाड़ों पर
खिड़की खोल कर वो आग तापने चला गया
चिता की आग पर

हवास का जहान...
हवास का जहान साथ ले गया
वो सारे बादबान साथ ले गया
बताएँ क्या, वो आफ़ताब था कोई
गया तो आसमान साथ ले गया
हवास का जहान साथ ले गया
वो सारे बादबान साथ ले गया

किताब बंद की और उठ के चल दिया
किताब बंद की और उठ के चल दिया

तमाम दास्तान, दास्तान, दास्तान
तमाम दास्तान साथ ले गया
तमाम दास्तान साथ ले गया
हवास का जहान...

वो बेपनाह प्यार करता था मुझे
वो बेपनाह प्यार करता था मुझे

गया तो मेरी जान, मेरी जान, मेरी जान
गया तो मेरी जान साथ ले गया
गया तो मेरी जान साथ ले गया
हवास का जहान...

मैं सज्दे से उठा तो कोई भी ना था
मैं सज्दे से उठा तो कोई भी ना था

वो पाँव के निशान, निशान
वो पाँव के निशान साथ ले गया
वो पाँव के निशान साथ ले गया
हवास का जहान...

सिरे उधड़ गए हैं सुब्ह-ओ-शाम के
सिरे उधड़ गए हैं सुब्ह-ओ-शाम के

वो मेरे दो जहान, दो जहान, दो जहान
वो मेरे दो जहान साथ ले गया
वो मेरे दो जहान साथ ले गया
हवास का जहान साथ ले गया

वो सारे बादबान साथ ले गया (बादबान)
वो सारे बादबान साथ ले गया (बादबान)
वो सारे बादबान साथ ले गया (बादबान)
वो सारे बादबान साथ ले गया (बादबान, बादबान)



Credits
Writer(s): Gulzar, Bhupender Singh
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