Kyon Ghareebon Se Khelti Hai

माँ ने जिस चाँद सी दुल्हन की दुआ दी थी मुझे
माँ ने दुआ दी थी मुझे
आज footpath से जो देखा मैंने
रात-भर रोटी नज़र आया है वो चाँद मुझे
क्यूँ ग़रीबों से खेलती है रात?
खेलती है रात

क्यूँ ग़रीबों से खेलती है रात?
खेलती है रात
क्यूँ ग़रीबों से खेलती है रात?
खेलती है रात

रोज़ इक चाँद, इक चाँद
रोज़ इक चाँद बेलती है रात
क्यूँ ग़रीबों से खेलती है रात?
खेलती है रात

ज़िक्र रहता है...
ज़िक्र रहता है आपका अक्सर
ज़िक्र रहता है...
ज़िक्र रहता है आपका अक्सर, आपका अक्सर
जब गुज़रती है, गुज़रती
जब गुज़रती है, पूछती है रात

क्यूँ ग़रीबों से खेलती है रात?
खेलती है रात

हर तरफ़ धूल-धूल उड़ती है
धूल उड़ती है
हर तरफ़ धूल-धूल उड़ती है
धूल उड़ती है
आसमाँ जब, आसमाँ
आसमाँ जब लपेटती है रात

क्यूँ ग़रीबों से खेलती है रात?
खेलती है रात
रोज़ इक चाँद, इक चाँद
रोज़ इक चाँद बेलती है रात
क्यूँ ग़रीबों से खेलती है रात?
खेलती है रात



Credits
Writer(s): Gulzar, Bhupender Singh
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